Tuesday, September 29, 2009

Happy Vijaydashmi

A poem composed on "Vijay Dashami" 2006 ... revisiting it today :-

अच्छाई की बुराई पर विजय,

अधर्म की धर्म द्वारा पराजय।

यही है हमारा भारत देश,

जिसने दिया विश्व को यह सन्देश।


विनाश की ओर अग्रसर हो रहा है देश,

भुला दिया है विजयदशमी का पावन सन्देश।

बेईमानी और लालच की चादर मे लिपटा है मानव,

भुला कर ईमानदारी लग रहा है दानव।


ईमानदारी की बेईमानी पर होती है जीत,

विजयदशमी गाती है यही पावन संगीत।

शोषण और दुराचार की चपेट मे है समाज,

भ्रष्ट नेता कर रहे है जंता पर राज।


अन्याय की न्याय द्वारा होती है सर्वदा हार,

विजयदशमी का यही है पावन त्योहार ।

फैली है समाज मे अमानवीयता,

गहरे सन्कट मे है इस देश की भारतीयता।


सदाचारी की दुराचारी पर विजय है निश्चित,

विजयदशमी करती है इस अटल सत्य को सुनिश्चित ।

आतंकवाद के भय से कांप रहा है देश-विदेश,

धर्म के नाम पर फैलाया जा रहा है अधर्म का उपदेश।


प्रत्येक रावण को अब लंका सहित जलाना होगा।

विश्व को विजयदशमी का सन्देश देना होगा,

विजयदशमी के पर्व पर, आज प्रण हमे लेना होगा,


प्रत्येक भारतीय को अपने भीतर श्रीराम को जन्म देना होगा।

विजयदशमी के पर्व पर, आज संकल्प हमे लेना होगा,

भारतवर्ष मे रामराज्य स्थापित करना होगा।

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